Wednesday 24 August 2016

जानिया भगवान् श्री कृष्ण जी के 51 नाम और उन के अर्थ.

                  भगवान् श्री कृष्ण जी के 51 नाम और उन के अर्थ:.....           


1 कृष्ण     : सब को अपनी ओर आकर्षित करने वाला.।
2 गिरिधर : गिरी: पर्वत ,धर: धारण करने वाला। अर्थात गोवर्धन पर्वत को उठाने वाले।
3 मुरलीधर : मुरली को धारण करने वाले।
4 पीताम्बरधारी : पीत :पिला, अम्बर:वस्त्र। जिस ने पिले वस्त्रों को धारण किया हुआ है।
5 मधुसूदन : मधु नामक दैत्य को मारने वाले।
6 यशोदा या देवकी नंदन : यशोदा और देवकी को खुश करने वाला पुत्र।
7 गोपाल : गौओं का या पृथ्वी का पालन करने वाला।
8 गोविन्द : गौओं का रक्षक।
9 आनंद कंद : आनंद की राशि देंने वाला।
10 कुञ्ज बिहारी : कुंज नामक गली में विहार करने वाला।
11 चक्रधारी : जिस ने सुदर्शन चक्र या ज्ञान चक्र या शक्ति चक्र को धारण किया हुआ है।
12 श्याम : सांवले रंग वाला।
13 माधव : माया के पति।
14 मुरारी : मुर नामक दैत्य के शत्रु।
15 असुरारी : असुरों के शत्रु।
16 बनवारी : वनो में विहार करने वाले।
17 मुकुंद : जिन के पास निधियाँ है।
18 योगीश्वर : योगियों के ईश्वर या मालिक।
19 गोपेश :गोपियों के मालिक।
20 हरि : दुःखों का हरण करने वाले।
21 मदन : सूंदर।
22 मनोहर : मन का हरण करने वाले।
23 मोहन : सम्मोहित करने वाले।
24 जगदीश : जगत के मालिक।
25 पालनहार : सब का पालन पोषण करने वाले।
26 कंसारी : कंस के शत्रु।
27 रुख्मीनि वलभ : रुक्मणी के पति ।
28 केशव : केशी नाम दैत्य को मारने वाले. या पानी के उपर निवास करने वाले या जिन के बाल सुंदर है।
29 वासुदेव :वसुदेव के पुत्र होने के कारन।
30 रणछोर :युद्ध भूमि स भागने वाले।
31 गुड़ाकेश : निद्रा को जितने वाले।
32 हृषिकेश : इन्द्रियों को जितने वाले।
33 सारथी : अर्जुन का रथ चलने के कारण।
35 पूर्ण परब्रह्म :देवताओ के भी मालिक।
36 देवेश : देवों के भी ईश।
37 नाग नथिया : कलियाँ नाग को मारने के कारण।
38 वृष्णिपति : इस कुल में उतपन्न होने के कारण
39 यदुपति : यादवों के मालिक।
40 यदुवंशी : यदु वंश में अवतार धारण करने के कारण।
41 द्वारकाधीश : द्वारका नगरी के मालिक।
42 नागर :सुंदर।
43 छलिया : छल करने वाले।
44 मथुरा गोकुल वासी : इन स्थानों पर निवास करने के कारण।
45 रमण : सदा अपने आनंद में लीन रहने वाले।
46 दामोदर : पेट पर जिन के रस्सी बांध दी गयी थी। 
47 अघहारी : पापों का हरण करने वाले।
48 सखा : अर्जुन और सुदामा के साथ मित्रता निभाने के कारण।
49 रास रचिया : रास रचाने के कारण।
50 अच्युत : जिस के धाम से कोई वापिस नही आता है।
51 नन्द लाला : नन्द के पुत्र होने के कारण।
🙏🌺 ।। जय श्री कृष्णा ।। 🌺🙏
Read More At: http://www.poojaandsahitya.com/

No comments:

Post a Comment